मुंबई की ACB कोर्ट ने SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और 5 अन्य अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने का निर्देश दिया था
बॉम्बे हाई कोर्ट ने कैल्स रिफाइनरी मामले में मंगलवार 4 मार्च तक एफआईआर दर्ज नहीं करने के आदेश दिए हैं। साथ ही हाई कोर्ट ने इस मामले में सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI), बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की याचिकाओं को 4 मार्च को सुनने पर सहमति जताई है। कोर्ट ने एक मौखिक निर्देश में कहा कि 4 मार्च को सुनवाई होने तक एफआईआर दर्ज नहीं की जाए। SEBI के अधिकारियों की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और BSE के अधिकारियों की ओर से सीनियर एडवोकेट अमित देसाई पेश हुए थे।
बता दें मुंबई की एक स्पेशल अदालत ने 1 मार्च को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को SEBI की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच और 5 अन्य अधिकारियों के खिलाफ कथित शेयर बाजार धोखाधड़ी और नियामकीय उल्लंघन के आरोपों में एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था।
स्पेशल ACB कोर्ट के जज, शशिकांत एकनाथराव बांगर ने शनिवार 1 मार्च को पारित अपने आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया नियामक चूक और मिलीभगत के सबूत दिखते हैं, जिसके लिए एक निष्पक्ष जांच की जरूरत है। कोर्ट ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर स्थिति रिपोर्ट मांगी है।
विशेष एसीबी अदालत के न्यायाधीश शशिकांत एकनाथराव बांगर ने शनिवार को पारित आदेश में कहा कि प्रथम दृष्टया नियामक चूक और मिलीभगत के सबूत हैं, जिसके लिए निष्पक्ष और निष्पक्ष जांच की आवश्यकता है। कोर्ट ने कहा कि वह जांच की निगरानी करेगी और 30 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट मांगी है।
बुच के अलावा जिन अन्य अधिकारियों के खिलाफ अदालत ने FIR दर्ज करने का आदेश दिया है, उनमें BSE के मैनेजिंग डायरेक्टर और पूर्व सीईओ सुंदररामन राममूर्ति, इसके तत्कालीन अध्यक्ष और पब्लिक इंटरेस्ट डायरेक्टर प्रमोद अग्रवाल और SEBI के तीन फुलटाइम मेंबर- अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण जी और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय शामिल हैं।
कोर्ट ने यह आदेश ठाणे के एक मीडियाकर्मी, सपन श्रीवास्तव की ओर से दाखिल एक याचिका पर दिया था। सपन श्रीवास्तर ने इन सभी लोगों के खिलाफ बड़े पैमाने पर वित्तीय धोखाधड़ी, नियामकीय उल्लंघन और भ्रष्टाचार से जुड़े कथित अपराधों की जांच की मांग की थी।
ये आरोप स्टॉक एक्सचेंज पर एक कंपनी की धोखाधड़ी से लिस्टिंग से जुड़ा हुआ हैं। शिकायतकर्ता ने दावा किया कि SEBI के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्यों को निभाने में विफल रहे, उन्होंने बाजार में हेरफेर की सुविधा दी, और तय मानदंडों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति देकर कॉरपोरेट धोखाधड़ी को अंजाम देने में मदद की।
इस बीच BSE ने एक बयान में कहा कि मुंबई की ACB कोर्ट ने SEBI के कुछ अधिकारियों और BSE के पूर्व चेयरमैन और मौजूदा एमडी और सीईओ के खिलाफ दाखिल एक याचिका को स्वीकार किया है। इस याचिका में 1994 में कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड की हुई लिस्टिंग में कथित अनियमितताओं की जांच और FIR दर्ज कराने के निर्देश मांगे गए थे। बयान में कहा गया है, "आवेदन में जिन अधाकारियों का नाम लिया गया है, वे कथित लिस्टिंग के समय अपने संबंधित पदों पर नहीं थे और कंपनी से बिल्कुल भी जुड़े नहीं थे।"
टिप्पणियाँ