BSE Smallcap Index के 938 शेयरों में से 321 स्टॉक्स सिर्फ एक महीने में 20 फीसदी से ज्यादा गिरे हैं।
मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स पर दांव लगाने वाले निवेशकों ने ऐसी पिटाई की उम्मीद नहीं की होगी। मार्च 2020 के बाद पहली बार मिडकैप और स्मॉलकैप की ऐसी पिटाई हुई है। फरवरी में हुई इस पिटाई से रिटेल इनवेस्टर्स का धैर्य टूटता नजर आ रहा है। उनका पोर्टफोलयो बड़े नुकसान में आ गया है। खास बात यह कि मार्च में भी स्थिति बदलने की उम्मीद कम दिख रही है। फरवरी में बीएसई स्मॉलकैप 14 फीसदी गिरा। इससे पहले मार्च 2020 में निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 10.8 फीसदी लुढ़का था।
Zen Technologies सिर्फ दो महीने में 60% टूटा
BSE Smallcap Index के 938 शेयरों में से 321 स्टॉक्स सिर्फ एक महीने में 20 फीसदी से ज्यादा गिरे हैं। Zen Technologies का स्टॉक सिर्फ दो महीने में करीब 60 फीसदी टूटा है। स्मॉलकैप स्टॉक्स की हालत और भी खराब है। 243 स्मॉलकैप स्टॉक्स अपने 52 हफ्ते के हाई से 50 फीसदी से ज्यादा क्रैश कर चुके हैं। पिछले हफ्ते बिकवाली का दबाव और बढ़ गया, जिससे Nifty Midcap 100 मार्च 2024 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर आ गया। मार्केट में अभी और गिरावट आने के आसार हैं।
मार्च में भी स्मॉलकैप और मिडकैप की जारी रह सकती है पिटाई
हालिया गिरावट के बावजूद एनालिस्ट्स यह मानने को तैयार नहीं है कि मिडकैप और स्मॉलकैप स्टॉक्स की वैल्यूएशंस सही लेवल पर आ गई है। ग्लोबल टैरिफ वॉर बढ़ने के संकेत है। इसका असर इंडियन मार्केट्स पर भी दिखेगा। ऐसे में फिलहाल मार्केट में किसी तरह की राहत की उम्मीद नहीं दिख रही। यह इनवेस्टर्स खासकर छोटे निवेशकों के लिए सावधानी बरतने का समय है। एक गलत फैसला नुकसान का सबब बन सकता है।
Ultratech Cement
यह स्टॉक 3 मार्च को 2.2 फीसदी उछाल के साथ 10,348 रुपये पर पहुंच गया। 4 मार्च को भी इसमें हल्की तेजी देखने को मिली। अल्ट्राटेक सीमेंट ने केबल्स एंड वायर्स बिजनेस में उतरने का ऐलान किया है। साथ ही कंपनी सीमेंट बिजनेस में भी अपनी लीडरशिप पोजीशन बनाए रखना चाहती है। इसके लिए वह ऑर्गेनिक और इनऑर्गेनिक रास्ते अपनाने के लिए तैयार है। बेयर्स का कहना है कि अगर कॉस्ट में तेज उछाल या सीमेंट की कीमतों में तेज गिरावट का असर कंपनी के प्रदर्शन पर पड़ सकता है।
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Coal India
कोल इंडिया के शेयरों में 3 मार्च को 2.3 फीसदी गिरावट देखने को मिली। इसकी वजह यह है कि फरवरी में उत्पादन एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 0.8 फीसदी कम रहा। बुल्स का कहना है कि कोल इंडिया की मजबूत मार्केट पोजीशन, पावर सेक्टर से कोयले की स्ट्रॉन्ग डिमांड और स्ट्रॉन्ग डिविडेंड यील्ड की वजह से यह स्टॉक लंबी अवधि के निवेश के लिहाज से अट्रैक्टिव है।
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